Tuesday, October 12, 2010

जीवन में सभी को सभी कुछ नहीं मिलता इसलिए दूसरों की निन्दा की परवाह किए बिना ही अपने पथ पर निरंतर चलते रहें। जीभ हरेक की अपनी है और उसे किसी को कुछ भी कहने की छूट हैं अतः अच्छा यही होगा कि उथले लोगों द्वारा कहे गए भले-बुरे पर ध्यान न दिया जाए। चाहे कोई हिमालय के समान महान ही क्यों न हो परन्तु उअस पर भी सिर ऊचाँ उठा के रहने एवं घमंडी होने का दोष लगेगा, समुद्र के सामान विशाल क्यों न हो,पर उसे भी खारा होने का कलंक झेलना ही पड़ेगा। जिस प्रकार काला चश्मा पहनने वाले को सब ओर काला ही नज़र आता हैं उसी प्रकार हर मनुष्य दूसरे को अपने ही तराजू में तोलता हैं और बुरा देखने वाले को कभी भला नज़र ही नहीं आ सकता।

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