Friday, September 3, 2010

प्रार्थना आत्मा का, मन का भोजन हैं, पूरे दिन भोजन भले ही छूट जाए परन्तु प्रार्थना नहीं छूटनी चाहिए। अपनी दिनर्चया को इस प्रकार ढाले कि दिन के हरेक घंटे में केवल एक मिनट परम पिता को अवश्य स्मरण करें। प्रार्थना करना याचना करना नहीं हैं बल्कि प्रेम से ईश्वर को पुकारना हैं, यही मात्र सच हैं जग में बाकी सब झूठ। प्रार्थना द्वारा ही हम उस सबसे महत्वपूर्ण परम सत्य को प्राप्त कर सकते हैं।

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