Monday, September 27, 2010

जीवन में कोई न कोई अभाव तो अवश्यंभावी है,क्योंकि हमारे कर्म तो हमें स्वयं ही भोगने हैं इसीलिए जो भी सुख-दुख जीवन में आए उसे भगवान का प्रसाद एवं अपने कर्मों का फल समझ शांतिपूर्ण ग्रहण करें।

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