Sunday, September 5, 2010

समुद्र, धरती, आकाश, वृक्ष केवल देना ही जानते हैं, और निसर्ग का नियम भी है कि जो निरंतर दान करता हैं वह निर्बाध प्राप्त भी करता हैं, आज का दिया हुआ दान कल हज़ारो गुना बढ़ कर मिलता हैं।यदि हम अपनी क्षमता आज लोककल्याण और परोपकार में लगाए तो कल वही क्षमता हज़ारो गुना बढ़ कर निरंतर सबका भला ही करेगी।

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