Thursday, November 18, 2010

जीवन लम्बा नहीं ईश्वर प्रेम से ओत-प्रोत होना चाहिए, जो तभी संभव हैं जब मनुष्य धरती की हरेक वस्तु में केवल परमानन्द को ही देखें, क्योंकि हर जगह सृष्टि के कण-कण में परमपिता का ही रूप ही तो व्याप्त हैं, सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी, आकाश, वन-उद्यान, पशु-पक्षी सभी कुछ प्रभु ने ही तो रचा हैं और ईश्वर की महानतम रचना हैं मानव जिसको भगवान ने विवेक दिया हैं, मानव शरीर और बुद्‌धि को इतना प्रखर बनाया हैं कि खुद मनुष्य भी यदि चाहे तो देवता बन सकता हैं।

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