Tuesday, November 30, 2010

कुछ लोग जीवन में सदा रोते ही रहते हैं या भगवान को दोष देते रहते हैं कि भगवान ने उन्हें यह नहीं दिया, वह नहीं दिया, परन्तु इस दोषारोपण से पहले वह भूल जाते हैं कि परमपिता ने सभी को समान सामर्थ और समान इन्द्रियाँ दी हैं, शरीर के सभी अंग जो ईश्वर ने हमें दिए हैं वह अमूल्य हैं और सबसे बड़ी शक्ति जो परमात्मा ने हमें दी हैं वह हैं प्रार्थना करने की अमूल्य निधि जिसकी तुलना सारे जग की सम्पति से भी नहीं की जा सकती। मन को ईश्वर प्रेम और भक्ति में लगाए रखना ही मानव की अतुलनीय संपदा हैं।

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