Wednesday, December 1, 2010

प्रभु नाम एक अनुपम निधि हैं, जो कि खर्चने से और बढ़ती है, खर्चने का मतलब इससे हैं कि हम जितना ही प्रभु नाम लेगें और उसका प्रचार करेंगे वो चौगुना होकर हमें प्राप्त होगा और जीवन के सबसे बड़े सत्य से हमें अवगत करवा देगा कि ईश्वर ही हमारे सबसे बड़े सम्बन्धी हैं और अंनत तक केवल उनके ही साथ हमारा सम्बन्ध बना रहेगा बाकी सभी दुनियावी रिश्ते इसी दुनिया में समाप्त हो जाएँगे।

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