Tuesday, December 28, 2010

यह नितांत आवश्यक हैं कि मन में जो भी विचार उठे वह इस स्तर के हो कि आपको प्रेरित करें बजाय इसके कि आपको गर्त में धकेल दें इसी लिए सदा सद्‌विचार ही रखें और सदैव सबका भला करें यदि भूल से भी किसी के प्रति राग-द्वेश का भाव जागे तो उसे त्याग कर ईश्वर में मन लगाए एवं स्रष्टा के बनाए इस संसार की प्रंशसा कीजिए।

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