Thursday, April 15, 2010

परिस्थितियाँ सदा हमारे अनुकूल नहीं रहती, परन्तु सच्चा मनुष्य वही है जो विपरीत परिस्थति में भी टूटे नहीं एवं हार न मानें। जिस प्रकार सागर की हिलोरें कितनी ही तेज़ क्यों न हो चट्टान हार नहीं मानती उसी प्रकार मनुष्य को भी जीवन की चुनौतियों से हार न मान सदा सर्घषों से जूझते रहना चाहिए।

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