Wednesday, May 12, 2010

सब कुछ तो इस परम पिता परमेश्वर ने बनाया हैं, उसका बँटवारा करना न केवल बेवकूफी हैं अपितु प्रकति के विरूध्द भी हैं, इस सम्पूर्ण विश्व वैभव की उपयोगिता इसी में हैं कि सब मिल-बाँट कर खाएँ। संसार सब का हैं। अतः जितना अपने लिए आवश्क हैं उतना उपयोग में लाएँ एवं शेष दूसरों के लिए छोड़ दे इसी में दूरदर्शिता है।

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