Thursday, May 20, 2010

आज के इस भौतिकवादी युग में भावनाशीलता को अपनाना ही समझदारी हैं, अल्पबुध्दि वाला भावनाशील व्यक्ति भी ईश्वर को पा सकता हैं, कबीर, रैदास जैसे संतो का जीवन इसका जीवंत उदाहरण हैं।

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