Tuesday, June 22, 2010

ईश्वर ने मनुष्य को अपार संपदाओं से भरपूर जीवन दिया हैं परन्तु उसे दिया हैं एक-एक खंड में गिन-गिन कर। नया खंड देने से पहले पुराने का हिसाब-किताब हमें उन्हें देना हैं, हमारे दानी मित्र भगवान तब बहुत निराश होते हैं जब हम उनके मूल्यवान अनुदान की अवज्ञा करते हैं, इसलिए हर नए दिन का महत्व समझें क्योंकि जीवन का हर प्रभात हमारें लिए अभिनव उपहार लाता हैं एवम्‌ चाहता हैं कि हम उसके उपहारों को उत्साहपूर्वक ग्रहण करें और उससे उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करें।

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