Wednesday, November 10, 2010

जिदंगी और मौत दोनो परमात्मा के हाथ हैं,न जाने कब जीवन की डोर खिंच जाए इसीलिए जो अनमोल जीवन परमपिता का महान अनुदान हैं उसका एक भी क्षण व्यर्थ न गवाएँ, हर पल यह ही चेष्टा करें कि आप समाज के प्रति कुछ योगदान अवश्य करें। चाहे वह गरीब अनाथ की सेवा हो या भूखे को अन्नदान,जितना हो सके अपने स्तर पर ज़रूर करें।

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