Wednesday, April 21, 2010

ईश्वर की उपासना प्रतिदिन करनी चाहिए। परन्तु कर्म से भी उपासना करना आवश्यक हैं। लकड़ी काटना, मकान की सफाई करना, पत्थर तोड़ना,खेत से अन्न निकालना भी भगवान की ही स्तुति हैं। कर्तव्य भावना से किए गए कर्म, परोपकारों से भगवान जितना प्रसन्न होते हैं, उतना भजन, कीर्तन से नहीं।

1 comment:

  1. your joke thrilled me the whole day,by the way that poem was for you,not T.M.only daddy can uncode this abbreviation.

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