Wednesday, April 28, 2010

"जो दूसरे को जीते सो वीर जो अपने को जीते सो महावीर"। यानि अपना सुधार कर लेना संसार की सबसे बड़ी सेवा हैं, क्योंकि अधिकतर लोग दूसरे की आँख का तिनका तो देख लेते हैं परन्तु अपनी आँख का शहतीर नहीं देख पाते, अर्थात वे दूसरो की छोटी से छोटी गल्ती भी देख लेते हैं परन्तु स्वयं की बड़ी से बड़ी भूल भी नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

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