Tuesday, January 11, 2011

सभी धार्मिक ग्रंथ यही कहते हैं कि माँसाहार न करें और यही जीवन जीने की कला भी है कि ईश्वर ने जब इतना वनस्पति बनाया है तो बेचारे मूक जानवरों की हत्या क्यों की जाए और क्यों उनकी बददुआ ली जाए। भय के साए में काटा और पका भोजन क्या हमें कुछ भी पोषण प्रदान करेगा? इसका निर्णय आप स्वयं ही ले सकते हैं। ईश्वर ने हमारे शरीर की रचना ही इस प्रकार की है जो कि केवल शाकाहारी आहार के लिए उपयुक्त है और यदि हम फिर भी भगवान के बनाए इस मंदिर में कूड़ा करकट डालना चाहते हैं तो आगे सज़ा भुगतने के लिए भी हमें तैयार रहना चाहिए।

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