Wednesday, March 24, 2010

इस मल-मूत्र के पिटारे शरीर पर इतना अभिमान न करें, यह जिन पंच-तत्वो से निर्मित हैं,अंत में इसे उन्हीं में समा जाना हैं अतः अपने जीवन में इस प्रकार के कर्म कर जाएँ कि मृत्यु उपरान्त भी इस जगत में अमर हो जाएँ।

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