Monday, March 29, 2010

नास्ति गंगासमं तीर्थं न देवः केशवात्परः।
गायत्र्यास्तु परं जप्यं न भूतो न भविष्यति॥
अर्थात गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं,केशव के सामान कोई देवता नहीं, गायत्री से श्रेष्ठ न कभी कोई जप हुआ हैं और न आगे होगा।

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