Tuesday, April 5, 2011

हमेशा स्वयं के लिए और औरों के लिए अच्छा ही सोचें क्योंकि जो भी आप सोचते उसकी तरंगे दूसरों तक जल्द ही पहुँच जाती है और आपको भी उनके द्वारा भेजी हुई तरंगे मिल जाती हैं इसीलिए सदैव भला और शुभ ही सोचें ताकि दूसरों का भी भला हो और स्वयं का भी।

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