Friday, April 22, 2011

हमारी स्थूल पाँच कर्म-इन्द्रियों के साथ-साथ हमारी तीन सूक्ष्म इन्द्रियाँ मन, बुद्धि और संस्कार भी हमारे वश में आ जाते है यदि हम आत्मा को प्रधानता देते है, क्योंकि आत्मा को चलाने वाले परमात्मा हैं और आत्मा है जो शरीर को चलाती है, यदि हम यह बात समझ ले कि हमें आत्मा को महत्ता देनी है तो जीवन बहुत सरल हो जाएगा और हम उन परमपिता से अपना रिश्ता सदैव कायम रख पाएँगे, जो हमारा स्रोत भी है और अंत भी।

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