Thursday, March 24, 2011

जिस प्रभू ने हमें सभी कुछ दिया है वो हमें स्वयं दिखाई नहीं देते परन्तु उनका स्वरूप हम सृष्टि में सब ओर देख सकते हैं, जिस ओर भी प्रेम और शांति दिखे समझ लीजिए ईश्वर वहीं निवास करते हैं, जहाँ मौन में भी सकून है मेरे परमात्मा वहीं रहते हैं। हर तरफ परमात्मा को ही ढूढ़े और उन्हीं का ही विचार करें, वह तो हरेक के अतःकरण में विचरते हैं।

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