Tuesday, March 29, 2011

सब तरफ जिस जगह भी आपकी नज़र जाती है सब तरफ ईश्वर ही ईश्वर तो हैं,यह तो आपके देखने का नज़रिया ही है कि आप क्या देखते हैं और कैसे देखते हैं। जो भी व्यक्ति आपके सम्पर्क में आता है उसे अपना ही भाई-बन्धु समझिए और वैसा ही प्रेम दिजिए जैसा किसी अपने को दिया जाता है तभी तो आपको सब में भगवान दॄष्टिगोचर होंगे।

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