Friday, February 11, 2011

यदि किसी से प्रेम ही करना है तो उनसे कीजिए जिन्हें सभी ने दुत्कारा है और जो सदा जीवन में प्रेम से वंचित रहे हैं क्योंकि प्यार वो अनुभूति है जो हृदय की चोट को भुला सकने में मदद करती है और मरहम का लेप भी लगाती है इसीलिए दीन-दुखियों को अपना प्रेम-सौहार्द अवश्य दें। उनसे प्रेम करना ही ईश्वर से प्रेम करना है।

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