Thursday, December 3, 2009

माँ से ही सॄष्टि चलती है,इस बात की पुष्टि ऋग्वेद के विभिन्न सूत्रो में की गई है। प्रकृति ने माँ के व्यक्तित्व में ममता,वात्सल्य,स्नेह इस तरह मिश्रित किया है कि इस अतिदुर्लभ व्यक्तित्व का प्रेम और वात्सल्य पाकर स्वयं (भगवान विष्षु) अवतारी चेतना भी धन्य हो गयी। भगवान राम और माता कौशल्या एवं भगवान कृष्ण और माता यशोदा का वात्सल्य इस प्रेम के सत्य उदाहरण है ।

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