Thursday, December 24, 2009

सन्तोषसित्रषु कर्त्तव्यः स्वदारे भोजने धने।
त्रिषु चैव न कर्त्तव्योअध्ययने तपदानयोः॥
चाणक्य नीति ७.४
अर्थात अपनी पत्नी,भोजन और धन _ इन तीन में संतोष करना चाहिए,परंतु अध्ययन,(जप) तप और दान _इन तीन में संतोष नहीं करना चाहिए ।

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