Thursday, December 10, 2009

पापेन जायते व्याधिः पापेन जायते जरा। पापेन जायते दैन्यं दुःखं शोको भयंकरः॥
तस्मात्‌ पापं महावैरं दोषबीजम मग्ङल‍म्‌। भारते सततं सन्तो नाचरन्ति भयातुराः॥
(ब्रह्म खंड)
पाप ही रोग,वॄध्दावस्था तथा नाना प्रकार की दीनताओं का बीज है।पाप से भयंकर शोक की उत्पत्ति होती है।यह महान वैर उत्पन्न करने वाला,दोषों का बीज और अमंगलकारी है। भारत के संतपुरूष इसी कारण कभी पाप का आचरण नहीं करते।

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