Monday, December 28, 2009

सर्वतीर्थेषु वा स्नानं सर्वभूतेषु चार्जवम्‌ ।
उभे त्वेते समे स्यातामार्जवं वा विशिष्यते ॥
विदुर नीति ३/२
अर्थात सब तीर्थों का स्नान और प्राणियों के प्रति उदारतापूर्ण मधुर व्यवहार इन दोनों में उदार व्यवहार ही विशिष्ट है ।

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