Thursday, January 14, 2010

भागवत गीता में कहा गया है - अशांतस्य कुतः सुखम्‌ अर्थात अशांत व्यक्ति को सुख कहाँ मिलेगा! यानि शांत प्रवृति अपनाकर ही ईश्वर की शरण में जाना उपयुक्त है।

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