Tuesday, January 26, 2010

हम सबके अंदर भगवान गुप्त रूप में निवास करते हैं। जो समझदार है, ज्ञानी हैं, भगवत्‌ स्वरूप को समझते हैं,वे यह मानते है कि हम सबके अंदर स्थित भगवान ही वह परमप्रकाश की ज्योति है,जिसे हम बाहर परमेश्वर कहकर पूजते हैं। परन्तु इसके विपरीत भ्रमित, अज्ञानी, मोह में उलझे व्यक्ति यह सोचते है कि हम ही सही सोचते है,बाकी सभी गल्त हैं;यहाँ तक की ये भगवान की भी(जिन्होंने हमें यह अमूल्य जीवन प्रदान किया है) उस परब्रह्म परमेश्वर की हर पल अवहेलना करके व्यर्थ के कर्म करते रहते हैं। अतः ऐसे अज्ञानी एवं भ्रमित लोगों की संगत नहीं रखनी चाहिए और हर क्षण भगवान का स्मरण करना चाहिए।

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