Saturday, January 30, 2010

अनन्य का अर्थ है- अन्य का अन्य न रहना,अनन्य हो जाना यानि परमात्मा से एकाकार होने के लिए आवश्क है अनन्य भक्ति जिसमें की भक्त तल्लीन हो जाता है, प्रभु भक्ति में एवं परमात्मा में एकात्मा का अनुभव करता है।

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