Thursday, February 11, 2010

वेदान्त कहता है कि इस संसार में तीन प्रकार के मूर्ख हैं प्रथम है वह जो व्यर्थ की आशा रखते है, दूसरे है जो व्यर्थ कर्म करते है और जो व्यर्थ का ज्ञान अर्जित करते हैं। अर्थात ईश्वर के अतिरिक्त किसी और से आशा रखने वाला मनुष्य मूर्ख है। जो कर्म ईश्वर को अर्पित नहीं किया वह व्यर्थ है एवं जो ज्ञान हमें ईश्वर की ओर प्रेरित न करे वह व्यर्थ हैं।

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