Friday, February 12, 2010

जीवन निष्क्रिय और निरुद्‌देश्य नहीं होना चाहिए। इस बहुमूल्य जीवन का एक-एक क्षण अपने लक्ष्य की प्राप्ति में बिताए, लक्ष्य है अपने आराध्य (परमात्मा) से मिलन का और हमें हर पल उस ओर अग्रसर रहना हैं।

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