Tuesday, February 16, 2010

प्राथना सरल,निश्चल एवं भावपूर्ण हृदय से ही संभव होती हैं।ऐसी प्राथना से हमारे जीवन के सभी श्रेष्ठ प्रयोजन पूरे होते है। प्रार्थना से गहन तृप्ति मिलती हैं एवं अंतःकरण के सभी अवरोध दूर होते हैं। सबसे आवश्क बात प्रार्थना से हमें मनुष्य जीवन के उद्‍देश्य का भान होता हैं जोकि परम तत्व में लीन हो जाना हैं।

No comments:

Post a Comment