Thursday, July 8, 2010

सभी महापुरूषो एवं संतो ने बार-बार सभी तरह की धार्मिक ग्रंथो में बारम्बार उस परमसत्ता का गुणगान किया हैं जो कि सृष्टि के हर नन्हें कण में व्याप्त हैं। ईश्वर हरेक के हृदय में विराजमान हैं इसीलिए हमें प्रत्येक व्यक्ति का समान रूप से आदर करना चाहिए एवं किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए।

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