Saturday, July 24, 2010

सच्चा आध्यत्मिक व्यक्ति अखण्ड आस्तिक होता हैं, वह हर कण में व्याप्त ईश्वर के सच्चे दर्शन करता हैं,उसे ज्ञात है कि ईश्वर हर प्राणी, हर फूल-पत्ते, हर मनुष्य में सदैव मौजूद हैं इसी कारण वह कोई भी काम गल्त कर ही नहीं सकता, ईश्वर का आस्तित्व मान कर भी जो व्यक्ति दुष्कर्म करता हैं एवं दूसरों के प्रति दुर्भाव रखता है, वह तो उस नास्तिक से भी गया गुज़रा हैं जो ईश्वर के आस्तित्व में विश्वास नहीं रखता और ऐसे आस्तिक बनाम नास्तिक को सौ वर्ष की तपस्या के बाद भी माफ नहीं किया जा सकता।

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