Monday, July 12, 2010

जीवन की सफलता और महत्ता मनुष्य की आत्मिक प्रगति पर ही निर्भर हैं, भौतिक वस्तुएँ तभी तक सुख देने वाली प्रतीत होती हैं जब तक उनकी प्राप्ति नहीं होती। सच्चा एवं चिरस्थाई सुख मनुष्य की आत्मिक प्रगति पर ही निर्भर हैं,एवं उसी की प्राप्ति के लिए ही यह मनुष्य जीवन भगवान से मिला हैं।

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