Tuesday, December 21, 2010

दान पुण्य का सौदा हैं, घाटे का नहीं, यदि किसी दीन-दुखी को हमारी सेवा-सश्रुणा से लाभ पहुँचता है तो उसकी दुआओं का असर कई गुणा होकर हम तक पहुँचता हैं। ईश्वर से तो कुछ भी छिपा नहीं हैं,वह सब देखते हैं और दीन-दुखियों की सहायता करने वालो को अपने ढंग से पुरस्कारित भी करते हैं।

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