Thursday, December 31, 2009

ईश्वर ने मनुष्य को सभी विभूतियों से संपन्न मानव जीवन वरदान के रूप में दिया है, साथ ही साथ यह स्वतंत्रता भी दी है कि मनुष्य जिस प्रकार चाहे उनका प्रयोग करे, चाहे तो ईश्वर के इस महान अनुदान का सदुपयोग करके ईश्वर प्राप्ति की ओर चल दे, अन्यथा दुरूपयोग कर मोहपाश और सांसारिक लिप्सा में जकड़कर अपना सर्वनाश कर लें ।

1 comment: